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Narayan nagbali puja in hindi

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Presentation Transcript


  1. नारायण नागबली पूजा ( (ह िंदी) )त्र्यिंबक े श्वर त्र्यिंबक े श्वरपुरोह तसिंघ गुरृजी

  2. त्र्यिंबक े श्वर पुरोह तसिंघ गुरृजी भारत में कुल12 ज्योततर्लिंग ैं। इन ीिं में सेएक नार्सकका ववश्व प्रर्स्ध त्र्यिंबक े श्वर ज्योततर्लिंग ै। ऐसा इसर्लए ै क्योंकक इस ज्योततर्लिंग क े भगवान ब्रह्मा, ववष्णु और म ेश ी सिंयुक्त ज्योततर्लिंग क े रृप में वव्यमान ैं। त्रिमूततियों की गिंध क े कारण य स्थान स्वगि क ा जाता ै जोभक्तों की मनोकामनाओिं को पूरा करता ै। समवपित ै ियिंबक े श्वर ज्योततर्लिंगनार्सक जजले क े त्र्यिंबक े श्वर तालुकामें जस्थत ै। य ािं का त्र्यिंबक े श्वर मिंहदर म ादेव को त्र्यिंबक े श्वर मिंहदर पररसर में कुछ म त्वपूणि पूजा (अनुष्ठान) की जाती ै। उन ें ियिंबक े श्वर में अधधकृत पुरोह तों को ी ताम्रपि से पूजा करने का अधधकार ै। उन ें ताम्रपिधारी गुरूजी क ा जाता ै। ताम्रपि की रक्षा और आधधकाररक तौर पर प्रमाण पि जारी करने क े अधधकार क े वल ियिंबक े श्वर में पुरोह त सिंघ क े पास आरक्षक्षत ैं। पुरोह त सिंघ सिंस्थान वपछले 1200 से अधधक वर्षों से सेवामें ै। और सुप्रीम कोर्ि कोअनुष्ठानोंकीपूजा करने की पूणि मिंजूरी ै और ताम्रपिधारी गुरूजी और पुरोह त सिंघ सिंस्थान क े पास पूणि शजक्तयािं ैं।

  3. नारायण नागबली पूजा दोअलग-अलगपूजाओिं का एक सिंयोजन ै। जजसमें नागबली पूजा और नारायण बर्ल पूजा शार्मल ै। ये दोनों पूजा नारायण नागबली पूजा क े रृपमें एक साथ की जाती ैं। य तनजश्ित रृपसे ज्ञात न ीिं ै कक मारे पूविजों में से एक की मृत्युका कारण क्या था। इसर्लएऐसे पूविज मृत्युक े लोगों क े बीि भर्कते ैं जजसक े पररणामस्वरृप उन ें वपतृसत्ताका सामना करना पड़ता ै इस प्रकिया में व्यजक्त कानाम या गोि काउच्िारण तनवर्ष्ध ै। इसर्लएय पूजा क े वल त्र्यिंबक े श्वर ज्योततर्लिंगक्षेि में ी की जाती ै। ज ािं भगवान ब्रह्मा, ववष्णुऔर म ेशज्योततर्लिंग क े रृपमें जागृत ैं। नारायण नागबली पूजा, कालसपिदोर्ष पूजा, त्रिवपिंडी श्रा्ध, रूद्रार्भर्षेकपूजा, रूद्रयाग, कुिं भवववा , अकािवववा , म ामृत्युिंजयमिंि जप, ववधध आहद अनेक धार्मिक अनुष्ठान ताम्रपिधारी गुरूजी्वारा कुशावति तीथि पर शास्ि आधाररत तरीक े से तथाताम्रपिधारी गुरूजीक े तनवास स्थान पर ककए जाते ैं। नागबली पूजा - जबककसी व्यक्ती की अिानक मृत्यु ो जाती ै । शास्िों में बताया गया ै कक ऐसे व्यजक्त की आत्मशािंततक े र्लए नारायण बर्ल पूजा करनी िाह ए।

  4. • जब ककसीव्यजक्त क े पररवार क े सदस्यकीमृत्युनीिे हदएगए कारणों से ोती ै, तो उसकीआत्माको शािंततन ीिं र्मलती ै; जैसा • असामतयकमृत्यु, • आकजस्मकमृत्यु, • आग की वज से मौत, • आत्म त्या (Suicide) त्या, • डूबने से मौत सुनामीया • भूक िं पजैसीप्राकृततक आपदाएिं, • कोरोना आहद जैसीम ामाररयािं ऐसे में व्यजक्त की इच्छाएिं अधूरी र जाती ैं। नारायण नागबली पूजा से व्यजक्त की आत्माकोशािंतत र्मलती ै। उनक े कमि क े अनुसार उन ें अगलाजनमया मोक्ष र्मलता ै।

  5. नारायण नागबली पूजा लाभ: : नारायण नागबली की पूजा करने से मारे पररवार क े पूविजों को अतृप्त इच्छाओिं से मुजक्त र्मलती ै और इस प्रकार मोक्ष की प्राजप्त ोती ै। इसर्लए वे पररवार क े सदस्यों को आशीवािद देते ैं। इस तर वपतरों क े श्राप से छुर्कारा र्मलता ै, जजसे वपतृ दोर्ष भी क ा जाता ै। पूविजों ्वारा शावपत पररवार में जनमा व्यजक्त जीवन में असफल ो जाता ै। व ब ुत खिि करता ै और थोड़ा बिाता ै, इस प्रकार व मेशा ववत्तीय परेशानी में र ता ै। नारायण नागबली पूजा करने से आधथिक परेशातनयािं दूर ोती ैं। कुिं डली में वपतृदोर्ष वाले व्यजक्त को माता-वपता बनकर खुशी न ीिं ोती। नारायण नागबली पूजा क े प्रभाव से व्यजक्त वपतृदोर्ष से मुजक्त पाकर बच्िों को अच्छे स्वास््य क े साथ लाभ ोता ै। वपतृसत्ता की समस्या वाले पररवार दुुःख, घरेलू ह िंसा क े र्शकार ो जाते ैं क्योंकक वे झगड़े में फ िं स जाते ैं। नारायण नागबली पूजा कर वपतरों क े आशीवािद से पररवार पूणि ोते ैं

  6. त्र्यिंबक े श्वर में ताम्रपिधारी गुरूजी ( (पुरोह त सिंघ) ) त्र्यंबक े श्वर में ववरासत क े कारण, क े वल पुजारी औरउनक े पररवार ही ववभिन्न पूजाकर सकतेहैं औरश्री नानासाहेब पेशवा(पेशवाबालाजी बाजीराव) द्वारा दिए गए सम्मान का एक प्राचीन ताम्र ववज्ञान है।इन पुजाररयों को"ताम्रपात्रधारी " क े रृप में जानाजाता है। त्रयम्बक े श्वर में कई गुरूजी इतने वर्षों सेवैदिक अभ्यास में हैं। कुछ गुरूजी िीवैदिक अनुष्ठानोंकापालन करतेथेऔर उनकीपूजा करते थेऔर वेिों और वैदिक प्रथाओं क े बारे में उनक े गहरे ज्ञान क े भलए लोगोंद्वारा सम्माननत ककए गए थे। यदि आप नए हैं और त्रयंबक े श्वरज्योनतभलिंग क े िशशन कर रहे हैं, तो आपकोचचंता करने की आवश्यकतानहीं है क्योंकक त्रयंबक े श्वर पंडितजी पूजाऔर सादहत्य क े भलए आवश्यक सब कुछ प्रिान करतेहैं। वे पूजाक े दिनों क े िौरान अपनेपररवार क े भलए घरकापकाया हुआ (सात्त्वक) िोजनऔर अच्छे आवास कीपेशकश िीकरतेहैं। पूजाकी लागतपूरी तरह सेसिीचीजों कीजरृरतों पर ननिशरकरती है। पुरोदहत संघकी वेबसाइटसे त्र्यंबक े श्वरपंडित जी कीऑनलाइनबुककं ग करसकते हैं

  7. पता :श्री गंगा गोिावरीमंदिर, पहलीमंत्जल, कुशावतशतीथश चौक, त्त्रंबक े श्वर-422212. त्जला: नाभसक(महाराष्र)पंडितजी info@purohitsangh.org www.purohitsangh.org •त्र्यिंबक े श्वर पुजाए •- नारायणनागबली •- त्रिवपिंडी श्रा्ध •- कालसपियोग शािंती •- म ामृत्युिंजयमिंि

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