0 likes | 14 Views
u0915u094cu0928 u0925u0947 u092au0939u0932u0947 u0915u093eu0902u0935u0930u093fu092fu093e? u091cu093eu0928u0947u0902 u0915u093eu0902u0935u0921u093c u092fu093eu0924u094du0930u093e u0915u093e u0907u0924u093fu0939u093eu0938, u092eu0939u0924u094du0935 u0914u0930 u0930u0939u0938u094du092f<br>
E N D
HinduNidhi.Com कौन थे पहले कांविरया कौन थे पहले कांविरया जान कांवड़ याा का जान कांवड़ याा का इितहास, महव और इितहास, महव और रहय रहय © HinduNidhi.Com
कांवड़ याा भारत की सबसे मुख और जीवंत िहंदू तीथयााओं म से एक है, िजसम लाख ालु शािमल होते ह, िजह कांविरया कहा जाता है। इस वािषक तीथयाा म गंगा नदी से पिव जल लेकर िविभन िशव मंिदर तक पहुंचाया जाता है। लेिकन पहले कांविरया कौन थे और इस ाचीन परंपरा का इितहास, HinduNidhi.Com महव और रहय या है आइए जानते ह। पहले कांविरया कौन थे पहले कांविरया की कथा ेतायुग से जुड़ी हुई है, जो िहंदू शा म विणत है। मायता है िक पहले कांविरया भगवान परशुराम थे, जो भगवान िवणु क े अवतार थे। कहा जाता है िक उहने दुिनया क े पाप का ायिचत करने और भगवान िशव का आशीवाद ात करने क े िलए कांवड़ याा की थी। परशुराम जी ने गढ़मुतेवर धाम से कांवर क े मायम से पिव गंगा जल लाया और उर देश क े बागपत म िथत ‘पुरा महादेव’ का अिभषेक िकया। यही कारण है िक कांवर याा की परंपरा का पालन आज भी िकया जाता है। वतमान म गढ़मुतेवर को बजघाट क े नाम से भी जाना जाता है। इस मंिदर की मिहमा इतनी अिधक है िक हर साल सावन म लाख कांविरये पुरा महादेव मंिदर म िशविलंग का अिभषेक करने पहुंचते ह। एक और महवपूण कथा राजा भगीरथ की है, िजह गंगा नदी को वग से पृवी पर लाने का ेय िदया जाता है। राजा भगीरथ ने अपने पूवज की राख को शु करने क े िलए कठोर तपया की थी, िजससे गंगा नदी का वाह हुआ और भिवय
म ालुओं क े िलए इस पिव याा का माग शत हुआ। गढ़मुतेवर धाम की पौरािणक कथा गढ़मुतेवर धाम, जहां से परशुराम जी ने कांवर म गंगा जल लाया था, इसक े बारे HinduNidhi.Com म एक पौरािणक कथा भी चिलत है। िशवपुराण म विणत कथा क े अनुसार, एक बार महिष दुवासा मंदराचल पवत पर तपया कर रहे थे। तभी भगवान िशव का दल वहां पहुंचा और महिष दुवासा का उपहास करने लगा। इससे महिष ोिधत हो गए और उहने गण को िपशाच बनने का ाप दे िदया। बाद म भगवान िशव क े दशन से िशवगण को िपशाच लोक से मुित िमली। इसिलए इस मंिदर को ‘गढ़मुतेवर’, अथात् लोग को मुित देने वाले भगवान क े नाम से जाना जाता है। इस कार, सावन का महीना और कांवर याा िशव भत क े िलए अयंत पिव और महवपूण होते ह। यह याा न क े वल धािमक आथा का तीक है, बिक यह भत को उनक े आमबल और ा को समझने का अवसर भी दान करती है। कांवड़ याा का महव कांवड़ याा को भगवान िशव की क ृ पा ात करने और अपने पाप का ायिचत करने का एक मायम माना जाता है। यह याा भत को आयािमक शुद्िध और आिमक शांित दान करती है। कांवड़ याा सामािजक और धािमक एकता का तीक है। यह याा िविभन
जाितय, वगों और पृठभूिमय क े लोग को एकसाथ लाती है, जो एक ही लय क े िलए एकजुट होकर याा करते ह। इस तीथयाा क े दौरान भत को शारीिरक और मानिसक सहनशित का परीण करना पड़ता है। यह याा किठनाइय का सामना करने की मता HinduNidhi.Com को बढ़ाती है और आम-िनयंण िसखाती है। कांवड़ याा का रहय कांवड़ याा क े पीछे कई रहय और मायताएं जुड़ी ह। कहा जाता है िक इस याा क े दौरान िकए गए तप और साधना से भत की सभी मनोकामनाएं पूण होती ह। इसक े साथ ही, यह याा भत को भगवान िशव क े ित अटूट भित और समपण का तीक माना जाता है। कांवड़ याा का रहय इस तय म भी िनिहत है िक यह याा न क े वल धािमक आथा का तीक है, बिक यह एक ऐसा माग है जो आम-ान और आम- शुद्िध की ओर ले जाता है। यह याा भत को उनक े भीतर की शित और ा को पहचानने म मदद करती है। क ु ल िमलाकर, कांवड़ याा एक अद्िवतीय और पिव याा है, जो धािमक, सामािजक और आयािमक दृिट से अयंत महवपूण है। यह याा न क े वल भगवान िशव की भित का तीक है, बिक यह हम जीवन क े ित एक नई दृिट और समझ दान करती है।
Read This Online कौन थे पहले कांविरया जान कांवड़ याा का इितहास, महव और रहय HinduNidhi.Com Visit HinduNidhi https://hindunidhi.com Noitce & Disclaimer: This document may contain some errors / mistakes in form of language, grammar, characters, or any other. HinduNidhi.Com does not claim the 100% accuracy of the contents in this PDF, however, always great efforts are made to ensure that the contents in the PDF are correct and accurate. If you feel there is any issue, you can report this by clicking here.