1 / 9

दत्तात्रेय के 24 गुरु कौन थे? जानिए इनसे मिली शिक्षाएं|

u0926u0924u094du0924u093eu0924u094du0930u0947u092f u0915u0947 24 u0917u0941u0930u0941 u0915u094cu0928 u0925u0947? u091cu093eu0928u093fu090f u0907u0928u0938u0947 u092eu093fu0932u0940 u0936u093fu0915u094du0937u093eu090fu0902|<br>

Calendarpdf
Download Presentation

दत्तात्रेय के 24 गुरु कौन थे? जानिए इनसे मिली शिक्षाएं|

An Image/Link below is provided (as is) to download presentation Download Policy: Content on the Website is provided to you AS IS for your information and personal use and may not be sold / licensed / shared on other websites without getting consent from its author. Content is provided to you AS IS for your information and personal use only. Download presentation by click this link. While downloading, if for some reason you are not able to download a presentation, the publisher may have deleted the file from their server. During download, if you can't get a presentation, the file might be deleted by the publisher.

E N D

Presentation Transcript


  1. HinduNidhi.Com दाेय क े 24 गु कौन दाेय क े 24 गु कौन थे जािनए इनसे िमली थे जािनए इनसे िमली िशाएं| िशाएं| © HinduNidhi.Com

  2. भगवान दाेयजी िहंदू धम क े एक मुख देवता ह, िजह िदेव (बा, िवणु और महेवर) का अवतार माना जाता है। वे एक िस पुष, योगी और संत क े प म भी पूिजत ह। वे क ृित से सीखने क े बल समथक थे। उनक े जीवन म 24 गु थे, िजनम से अिधकांश ाक ृितक तव थे। HinduNidhi.Com इनम से क ु छ गु एक क ु ा, एक मधुमखी, एक सप आिद थे। दाेयजी की पूजा िविभन तरीक से की जाती है। उनक े भत मं जाप, यान, हवन आिद करते ह। उनक े मुख योहार म द जयंती और गु पूिणमा शािमल ह। दाेयजी क े 24 गु और उनकी िशाएं (1) पृवी दाेय जी ने पृवी को देखकर धैय और मा की सीख ली। पृवी सभी ािणय क े आघात सहते हुए भी कभी बदला नहीं लेती और न ही ोध करती है। दाेय जी ने समझा िक मनुय को भी पृवी की तरह माशील होना चािहए और दूसर क े िहत म समिपत रहना चािहए। (2) वायु वायु हमेशा गितशील रहती है और अछी-बुरी सभी वतुओं क े संपक म आती है, लेिकन िकसी म िलत नहीं होती। मनुय को भी वायु की तरह िनिलत रहते हुए गितशील रहना चािहए।

  3. (3) आकाश आकाश असीम और अखड है। इससे सीख लेते हुए, मनुय को अपने जीवन को छोटे उेय म बांधने क े बजाय बड़े लय की ाित क े िलए यनशील रहना HinduNidhi.Com चािहए। (4) जल जल वाभािवक प से वछ, मधुर और पिव करने वाला होता है। वह सभी वतुओं को शु और शीतल कर देता है। मनुय को भी जल की तरह शु, मधुरभाषी और दूसर का िहत करने वाला होना चािहए। (5) अिन दाेय जी ने अिन से पिवता की सीख ली। मनुय को शुभ कमों को उेिजत करने और अशुभ कमों को भम करने की वृि होनी चािहए। (6) चंदमा चंदमा की कलाएं घटती-बढ़ती रहती ह। मनुय का भी जीवन ऐसा ही होता है। दाेय जी ने सीखा िक मनुय को साधन की कमी या वृद्िध से भािवत नहीं होना चािहए। (7) सूय

  4. सूय जल को सोखकर वषा क े प म दान करता है। इसी कार, मनुय को भी याग और परोपकार की भावना रखनी चािहए। (8) कबूतर HinduNidhi.Com एक कबूतर की कण कहानी ने भगवान दाेय जी को जीवन का गहरा पाठ िसखाया। मोह-माया क े बंधन म फ ं सा यह कबूतर अपने पिरवार क े ित अयिधक आसत था। एक िदन, िशकारी क े जाल म फ ं सकर, वह अपने ियजन से दूर जाने को मजबूर हो गया। पिरवार क े ित िचंता म याक ु ल, कबूतर ने बार-बार जाल से िनकलने का यास िकया। परतु, िजतना ही वह छटपटाता, उतना ही जाल कसता जाता। अंततः, थककर और हार मानकर, कबूतर ने ाण याग िदए। इस घटना से दाेय जी ने सीखा िक अयिधक मोह-माया मनुय क े िववेक को भिमत कर सकती है। पिरवार और ियजन क े ित ेम वाभािवक है, लेिकन जब यह अयिधक हो जाता है, तो मनुय तकहीन िनणय लेने लगता है। दाेय जी का संदेश है िक हम मोह-माया से मुत रहना चािहए। िकसी की मृयु पर शोक करना वाभािवक है, लेिकन अयिधक िवलाप यथ है। (9) अजगर अजगर से संतोष की िशा िमली। मनुय को भी अपने ारध अनुसार जो ात हो, उसम संतुट रहना चािहए।

  5. (10) समुद समुद वषा और गमी से भािवत नहीं होता। मनुय को भी सांसािरक पदाथों की ाित और ित से अभािवत रहना चािहए। HinduNidhi.Com (11) पितंगा पितंगा दीपक की लौ म जलकर मर जाता है। दाेय जी ने सीखा िक िवषय- भोग क े चकर म पड़ने से ाणी का िवनाश िनिचत है। (12) भरा और मधुमखी भरा िविभन पुप से सार संगह करता है। मनुय को भी सभी शा से उपयोगी तव संगह करना चािहए, लेिकन उनम आसत नहीं होना चािहए। मधुमखी से अयिधक संगह न करने की सीख िमली। (13) हाथी एक ेरक कहानी है हाथी पकड़ने की यह तरकीब। िशकारी जानते ह िक हाथी पश-सुख का लालची होता है। इसिलए, वे ितनक से ढक े गड्डे म कागज की हिथनी खड़ी करते ह। सुंदर हिथनी को देखकर, वातिवक हाथी मोिहत हो जाता है और गड्डे म िगर जाता है। पश-सुख णभंगुर होता है, और इसक े िलए हम असर बड़ी हािन उठाते ह। हाथी जैसा िवशाल जीव भी मोह-माया क े बंधन म फ ं स जाता है। मनुय को पश-इंिदय-सुख का याग करना चािहए, तभी वह

  6. सचा सुख ात कर सकता है। (14) शहद िनकालने वाला पुष अयिधक संचय क े कारण मधुमखी का मधु लुट जाता है। मनुय को भी अिधक HinduNidhi.Com धन का संचय नहीं करना चािहए। (15) िहरण मधुर विन से आक ृ ट होकर िहरण िशकारी का िशकार बन जाता है। मनुय को भी कणिदय-सुख से बचना चािहए। (16) मछली मछली वाद क े चकर म कांटे म फ ं स जाती है। मनुय को भी िजा-वाद की लोलुपता से बचना चािहए। (17) िपंगला वेया िवदेह नगरी म रहने वाली वेया िपंगला प-सौदय क े यापार से जीवनयापन करती थी। इंिदय-सुख की तृित म िलत रहते हुए भी, उसे सची शांित नहीं िमलती थी। एक िदन, िपंगला ने कामुक पुष क े िलए रातरात जागने की बजाय, भगवान क े िलए जागने का िनणय िलया। इस पिरवतन से भािवत होकर, भगवान दाेय ने उसे दशन िदए। उहने

  7. िपंगला को िसखाया िक इस जगत म आशा ही परम दुःख का कारण है। आशा हम मोह-माया म बांधकर रखती है, जबिक िनराशा हम आम-सााकार की ओर ले जाती है। भगवान दाेय जम कथा यहाँ पढ़े। शंकराचाय जी भी इसी तय को वीकार करते ह। वे कहते ह िक बूढ़े यित क े HinduNidhi.Com शरीर म ीणता आ जाने पर भी, वह आशा का याग नहीं करता। उहने मनुय को उपदेश िदया िक वह भौितक सुख की आशा छोड़कर, भगवान की भित म लीन हो जाए। (18) क ु रर पी मांस का टुकड़ा छोड़ने से क ु रर पी को मानिसक शांित िमली। दाेय जी ने सीखा िक सची शांित अपिरगह म है। (19) बालक बालक से भोलेपन और िनदोषता की िशा िमली। (20) क ुं वारी कया क ुं वारी कया ने चूिड़य की आवाज से बचने क े िलए क े वल एक-एक चूड़ी पहनी। दाेय जी ने सीखा िक भीड़ ही अनथ की जड़ है, इसिलए साधक को एकांतवास करना चािहए। (21) बाण बनाने वाला कारीगर

  8. एक कारीगर की तमयता से दाेय जी ने सीखा िक ईवर की आराधना म तमयता क े िबना िसद्िध नहीं िमलती। (22) सांप HinduNidhi.Com सांप को िन :शद सरकते देख, दाेय जी ने मौन रहने की िशा ली। (23) मकड़ी मकड़ी क े जाला बुनने और िबगाड़ने से, दाेय जी को जम-मरण और माया- मोह की समझ िमली। (24) भृंगी कीट भृंगी कीट की तरह, परमामा का सतत् िचंतन करने से मनुय म भी उनक े गुण आने लगते ह। दाेय जी ने भृंगी कीट से यह िशा ली। दाेय जी ने समझा िक शरीर नवर है और इंिदयां अपने-अपने इिछत पदाथों को लेकर आपस म खींचातानी करती रहती ह। इसिलए, मनुय को आलय छोड़कर परम तव की खोज म संलन रहना चािहए। हर िदन पढ़ दाची आरती इसक े पाठ से भगवान दाेय की परम क ृ पा बनी रहती है Read This Online दाेय क े 24 गु कौन थे जािनए इनसे िमली िशाएं|

  9. HinduNidhi.Com Visit HinduNidhi https://hindunidhi.com Noitce & Disclaimer: This document may contain some errors / mistakes in form of language, grammar, characters, or any other. HinduNidhi.Com does not claim the 100% accuracy of the contents in this PDF, however, always great efforts are made to ensure that the contents in the PDF are correct and accurate. If you feel there is any issue, you can report this by clicking here.

More Related