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Sarvapitri Amavasya Katha Hindi (u0938u0930u094du0935u092au093fu0924u0943 u0905u092eu093eu0935u0938u094du092fu093e u092au094cu0930u093eu0923u093fu0915 u0915u0925u093e)
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HinduNidhi.Com सविपतृ अमावया सविपतृ अमावया पौरािणक कथा पौरािणक कथा © HinduNidhi.Com
|| सविपतृ अमावया पौरािणक कथा || ा प म सविपतृ अमावया का िवशेष महव है। इसे िपतर को िवदा करने की अंितम ितिथ माना जाता है। यिद िकसी कारणवश यित ा की िनधािरत ितिथ HinduNidhi.Com पर ा नहीं कर पाया हो या उसे ितिथ ात न हो, तो सविपतृ अमावया पर ा कर सकता है। इस ितिथ क े महव को समझाने वाली एक ाचीन पौरािणक कथा है। देवताओं क े िपतृगण, िजह ‘अिनवा’ कहा जाता है और जो सोमपथ लोक म िनवास करते ह, की मानसी कया अछोदा एक नदी क े प म कट हुई। मय पुराण म अछोद सरोवर और अछोदा नदी का उलेख िमलता है, जो कमीर म िथत है। अछोदा ने एक हजार वष तक तपया की, िजससे सन होकर िपतृगण अिनवा, बिहषपद और अमावसु अिवन अमावया क े िदन वरदान देने आए। िपतृगण ने अछोदा से कहा िक वे उसकी तपया से सन ह और उसे वरदान देना चाहते ह। परंतु अछोदा ने अमावसु की ओर देखा और उनकी तेजिवता से भािवत होकर उनसे रमण की इछा यत की। इस पर िपतृगण ने अछोदा को ाप िदया िक वह िपतृ लोक से पितत होकर पृवी पर मय कया क े प म जम लेगी। बाद म िपतर को उस पर दया आई और उहने उसे आशीवाद िदया िक वह महिष पराशर की पनी बनेगी और उनक े गभ से भगवान वेदयास का जम होगा। इसक े बाद, अछोदा ाप मुत होकर िपतृलोक वापस लौट जाएगी। अमावसु क े बचय और धैय की सराहना करते हुए िपतर ने यह घोषणा की िक अमावया
ितिथ अमावसु क े नाम से जानी जाएगी, और जो यित िकसी भी िदन ा नहीं कर पाया हो, वह अमावया पर ा-तपण करक े अपने िपतर को संतुट कर सकता है। यही अछोदा कालांतर म महिष पराशर की पनी और वेदयास की माता HinduNidhi.Com सयवती बनी। बाद म उहने राजा शांतनु से िववाह िकया और दो पु, िचांगद और िविचवीय को जम िदया। उहीं क े नाम से कलयुग म ‘अटका ा’ मनाया जाता है। Read This Online सविपतृ अमावया पौरािणक कथा Visit HinduNidhi https://hindunidhi.com Noitce & Disclaimer: This document may contain some errors / mistakes in form of language, grammar, characters, or any other. HinduNidhi.Com does not claim the 100% accuracy of the contents in this PDF, however, always great efforts are
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