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दुगा? आरती जय अ?े गौरी मैया जय मंगल मू?त?। तुमको ?न?श?दन ?ावत ह?र ??ा ?शव री टेक॥ मांग ?स?दूर ?बराजत टीको मृगमद को । उ?ल से दोउ नैना चं?बदन नीको ॥जय॥ कनक समान कलेवर र?ा?र राजै। र?पु? गल माला क ं ठन पर साजै ॥जय॥ क े ह?र वाहन राजत ख?ग ख?रधारी । सुर-नर मु?नजन सेवत ?तनक े दुःखहारी ॥जय॥ कानन क ु ?ल शो?भत नासा?े मोती । को?टक चं? ?दवाकर राजत सम?ो?त ॥जय॥ शु? ?नशु? ?बडारे म?हषासुर घाती । धू? ?वलोचन नैना ?न?श?दन मदमाती ॥जय॥ च?सठ यो?ग?न मंगल गाव? नृ? करत भै?। बाजत ताल मृदंगा अ? बाजत डम? ॥जय॥ भुजा चार अ?त शो?भत ख?ग ख?रधारी। मनवां?छत फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥ क ं चन थाल ?वराजत अगर कपूर बाती । ?ी मालक े तु म? राजत को?ट रतन ?ो?त ॥जय॥ ?ी अ?ेजी क? आरती जो कोई नर गावै । कहत ?शवानंद ?ामी सुख-स??? पावै ॥जय॥ Tentaran.com