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संत कबीर. कबीर , सन्त, कवि और समाज सुधारक थे। ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदास भारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे।. जीवन.
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संत कबीर कबीर, सन्त,कविऔरसमाजसुधारकथे। येसिकन्दरलोदीकेसमकालीनथे। कबीरकाअर्थअरबीभाषामेंमहानहोताहै।कबीरदासभारतकेभक्तिकाव्यपरंपराकेमहानतमकवियोंमेंसेएकथे।
जीवन काशी के इस अक्खड़, निडर एवं संत कवि का जन्म लहरतारा के पास सन् 1455 में ज्येष्ठ पूर्णिमा को हुआ। जुलाहा परिवार में पालन पोषण हुआ, संत रामानंद के शिष्य बने । कबीर सधुक्कड़ी भाषा में किसी भी सम्प्रदाय और रूढ़ियों की परवाह किये बिना खरी बात कहते थे। हिंदू-मुसलमान सभी समाज में व्याप्त रूढ़िवाद तथा कट्टरपंथ का खुलकर विरोध किया।
धर्मकेप्रति साधुसंतोंकातोघरमेंजमावड़ारहताहीथा। कबीरपढ़े-लिखेनहींथे।'उन्होंनेस्वयंग्रंथनहींलिखे, मुँहसेभाखेऔरउनकेशिष्योंनेउसेलिखलिया। अवतार, मूर्त्ति, रोज़ा, ईद, मसजिद, मंदिरआदिकोवेनहींमानतेथे।
वाणी संग्रह कबीर की वाणी का संग्रह 'बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और साखी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा आदि कई भाषाओं की खिचड़ी है। कबीर परमात्मा को मित्र, माता, पिता और पति के रूप में देखते हैं।यही तो मनुष्य के सर्वाधिक निकट रहते हैं। गुरु ग्रंथ साहब में उनके २०० पद और २५० साखियां हैं।
काशी में प्रचलित मान्यता है कि जो यहॉ मरता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है। रूढ़ि के विरोधी कबीर को यह कैसे मान्य होता। काशी छोड़ मगहर चले गये और सन् 1575 के आस पास वहीं देह त्याग किया। मगहर में कबीर की समाधि है जिसे हिन्दू मुसलमान दोनों पूजते हैं।
कबीर की रचनाओं के संदर्भों पर आधारित ऋतु चोपड़ा की पेंटिंग्स अभिव्यक्ति
झीनी झीनी बीनी चदरिया झीनी झीनी बीनी चदरिया॥ काहे कै ताना काहे कै भरनी कौन तार से बीनी चदरिया॥ १॥ इडा पिङ्गला ताना भरनी सुखमन तार से बीनी चदरिया॥ २॥ आठ कँवल दल चरखा डोलै पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया॥ ३॥ साँ को सियत मास दस लागे ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया॥ ४॥ सो चादर सुर नर मुनि ओढी ओढि कै मैली कीनी चदरिया॥ ५॥ दास कबीर जतन करि ओढी ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥ ६॥ Title- झीनी बीनी चदरिया-1
झीनी झीनी बीनी चदरिया झीनी झीनी बीनी चदरिया॥ काहे कै ताना काहे कै भरनी कौन तार से बीनी चदरिया॥ १॥ इडा पिङ्गला ताना भरनी सुखमन तार से बीनी चदरिया॥ २॥ आठ कँवल दल चरखा डोलै पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया॥ ३॥ साँ को सियत मास दस लागे ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया॥ ४॥ सो चादर सुर नर मुनि ओढी ओढि कै मैली कीनी चदरिया॥ ५॥ दास कबीर जतन करि ओढी ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥ ६॥ Title- झीनी बीनी चदरिया- 2
Title- Mun Magan Dhun sun ke manwa magan huwa ji Laagi smadhi guru charna ji ant sakha dukh duur huwa ji Saar shabad ake dori laggi te chad hansa paar hua ji... Sunya shihkar pe jhalar jhalke barsat amrit prem chuwa ji Kahe kabir suno bhai saadho chakh chakh almast huwaji
Title – Merge with him आखिर यह तन छार मिलेगाकहाँ फिरत मग़रूरी मेंमन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥
Title- Pyassi Meen Paani mein meen payasi, jal thal sagar doondh rahi hai, Bhatkat phire udassi re... Aatm gyan bina nar bhatke, Koi kaaba koi kaasi re,...
1 गुरुगोविंददोउखड़े, काकेलागूंपाँय। बलिहारीगुरुआपने, गोविंददियोमिलाय॥ 2 बड़ाभयातोक्याभया, जैसेपेड़खजूर | पंथीकोछायानहींफललागेअतिदूर | 3 बुराजोदेखनमैंचला, बुरानमिलियाकोय | जोमनदेखाआपना, मुझसेबुरानकोय | 4 माटीकहेकुमारसे, तूक्यारोंदेमोहे | एकदिनऐसाआएगा, मैंरोंदुंगीतोहे | 5 जलमेंबसेकमोदनी, चंदाबसेआकाश | जोहैजाकोभावनासोताहिकेपास || 6 पाछेदिनपाछेगएहरीसेकियानहेत | अबपछताएहोतक्या, चिडियाचुगगईखेत 7 नहायेधोयेक्याहुआ, जोमनमैलनजाए | मीनसदाजलमेंरहे, धोयेबासनजाए || 8 मालाफेरतजुगभया, फिरानमनकाफेर। करकामनकाडारदे, मनकामनकाफेर॥ 9 पोथीपढ़पढ़जगमुआ, पंडितभयानकोय | ढाईआखरप्रेमका, पढ़ेसोपंडितहोय || 10 धीरेधीरेरेमना, धीरेसबकुछहोए, मालीसींचेसौघडे, ऋतूआयेफलहोए