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हिन्दी साहित्य का इतिहास. छायावाद के प्रमुख स्तंभ. जयशंकर प्रसाद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला. महादेवी वर्मा सुमित्रा नंदन पंत. कबीर. जन्म-सन 1398,वारानसी के पास लहरतारा ( उ.प्र .) मृत्यु-सन 1518 में बस्ती के निकट मगहर में प्रमुख रचनाएँ-बीजक जिसमें साखी , सबद एवं रमैनी संकलित हैं ।
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हिन्दी साहित्य का इतिहास
छायावादकेप्रमुखस्तंभ • जयशंकरप्रसाद • सूर्यकांतत्रिपाठीनिराला
महादेवीवर्मा • सुमित्रानंदनपंत
जन्म-सन 1398,वारानसी केपास लहरतारा (उ.प्र.) • मृत्यु-सन 1518 मेंबस्तीकेनिकट मगहरमें • प्रमुखरचनाएँ-बीजकजिसमेंसाखी, सबदएवंरमैनीसंकलितहैं। • कबीरभक्तिकालकेनिर्गुणधाराके प्रतिनिधिकविहैं।वेअपनीबातको साफ़एवंदोटूकशब्दोंमेंप्रभावीढंग सेकहतेएवंलिखतेथे।
कबीरकेजीवनकेबारेमेंअनेककबीरकेजीवनकेबारेमेंअनेक किंवदंतियाँप्रचलितहैं।कबीरके विधिवतसाक्षरहोनेकाकोइ प्रमाणनहींहै।मसिकागदछुयो नहिकलमगहिनहिहाथजैसी पंक्तियाँइसकाप्रमाणदेतीहैं। उन्होनेंसत्संगऔरदेशाटनसे ज्ञानप्राप्तकिया।उनकीरचनाओं कोदेखकरयहकहाजासकताहै किहिन्दीसाहित्यमेंउनका योगदानअतुल्यहै। लहरतारागाँव
पदकासार पहलापद • पेहलेपदमेंकबीरनेपरमात्माकोसृष्टीकेकण-कणमेंदेखाहै,ज्योतिरूपमेंस्वीकाराहैतथाउसकीव्याप्तिचराचरसंसारमेंदिखाईहै।इसकीव्याप्तिकोअद्वैतसत्ताकेरूपमेंदेखतेहुएविभिन्नउदाहरणोंकेद्वारारचनात्मकअभिव्यक्तिदीहै।उन्होनेंइसमेंपरमात्माकीसर्व-उपस्थितिएवंसर्व-शक्तिकाभीवर्णणकियाहै।
काव्यसौंदर्य भावसौंदर्य • कविनेईश्वरकीव्याप्तीकण-कणमेंबताईहै,अद्वैतवादअर्थातईश्वरकोएकऔरसर्वव्यापीमानाहै। • उसनेविविधउदाहरणोंद्वारापरमसत्ताकोस्वीकाराहै। • संतकबीरकीवाणीउपदेशात्मकहै।
कलासौंदर्य • `एक-एक’ मेंपुनरुक्तिप्रकाशअलंकारहै। • जिननाहिनपहिचाना,काटैकोई,सरूपैसोई,कहैकबीरमेंअनुप्रासअलंकारहै। • सधुक्कड़ीभाषाहै।लयात्मकताऔरगोयताकासमावेशहै। • उदाहरणात्मकशैलीहै।
दूसरापद • दूसरेपदमेंकबीरनेबाह्याडंबरोंपरप्रहारकियाहै, साथहीयहभीबतायाहैकिअधिकांशलोगअपनीभीतरकीताकतको न पहचानकरअनजानेमेंअवास्तविकसंसारसेरिश्ताबनाबैठतेहैंऔरवास्तविकसंसारसेबेखबररहतेहैं।उसकेबादवेइससचदुनियामेंकिसीकामकेनहींरहते। • उपयुक्तपदकबीरवाङ्मय-खंड 2 सेलिएगएहैं।
काव्यसौंदर्य भाव सौंदर्य • कबीर ने धर्म के बाह्याडंबरों पर कड़ा प्रहार किया है।उन्होंने हिन्दी में प्रचलित पीपल-पूजा,मूर्ती-पूजा,तीर्थ-यात्रा,टोपी,माला,तिलक-छापे आदि धर्म के बाह्याडंबरों का खंडन किया है। • उन्होंने मुसलमानों के पीर,औलियों को भी नहीं बख्शा है। • जाति-धर्म के नाम पर लड़ना अज्ञानता का परिचायक है।
कला-सौंदर्य • पखानहिं पूजै,कितेब कुराना,उनमें उहै,पीपर पाथर पूजन सहित सिख्य सब,सहजै सहज समाना में अनुप्रास अलंकार है। • `घर-घर’,`लरि-लरि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। • आम बोलचाल की सधुक्कड़ी भाषा है। • पीपर,पाथर,तीरथ,तिलक आदि तद्भव शब्दों का प्रयोग किया गया है।मंत्र,महिमा,अंतकाल आदि तत्सम शब्द भी हैं। • काव्यांश में लयात्मकता एवं गेयता विद्यमान हैं।
कुछप्रमुखशब्दार्थ • दोजग- नरक • समाना- व्याप्त • खाक- मिट्टी • कोंहरा- कुम्हार • बाढ़ी- बढ़ई • अंतरि- भीतर • सरूपै- स्वरूप • असनाना- नहाना • गरबाना- गर्वकरना • बौराना-पगलाजाना • धावै- दौड़तेहैं • पतियाना- विश्वासकरना • नेमी-नियमोंकापालनकरनेवाला • धरमी-धर्मकापाखंडकरनेवाला
आतम-स्वयं • पखानहि-पत्थरको • बहुतक-बहुतसे • पीरऔलिया-ज्ञानी • मुरीद-अनुगामी • तदबीर-उपाय • डिंभधरि-आडंबरकरके • रहिमाना-दयालु • आतमखबरि- आत्मज्ञान • गुमाना-अहंकार • पीपर-पीपलकावृक्ष • छापतिलकअनुमाना- मस्तकपरविभिन्नप्रकारकेतिलकलगाना • साखी-साक्षी • सिख्य-शिष्य • महिमा-गुरुकामहात्म्य
कुछप्रमुखप्रश्न कक्षाकार्य • कविकीईश्वरकेप्रतिकैसीभावनाहै? • कबीरसंसारकेबौराजानेकीबातक्योंकहतेहैं? • किसचीज़कोकोइनहींकाटसकता? • कबीरकिसज्ञानमेंविश्वासनहींरखतेथे?
गृहकार्य • कबीरकाधर्मकेप्रतिकैसादृष्टिकोणहै? • मानवशरीरकिनपंचतत्वोंसेबनाहुआहै? • कबीरनेखुदकोदिवानाक्योंकहाहै? • कबीरनेपदमेंकिसमुख्यचीज़कीपूजाकरनेकीचर्चाकीहै?
अन्य संत कवि • नानक • दादू • रैदास