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छोटा मेरा खेत. उमा शंकर जोशी. कवि परिचय :- उमाशंकर जोशी का जन्म सन् १९११ में गुजरात में हुआ। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – विश्व शांति , गंगोत्री , निशीथ , प्राचीना , आतिथ्य , वसंत वर्षा , महाप्रस्थान , अभिज्ञा ( एकांकी ); सापनाभरा , शहीद ( कहानी );
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छोटा मेरा खेत उमा शंकर जोशी
कवि परिचय :- उमाशंकर जोशी का जन्म सन् १९११ में गुजरात में हुआ। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – विश्व शांति, गंगोत्री, निशीथ, प्राचीना, आतिथ्य, वसंत वर्षा, महाप्रस्थान, अभिज्ञा(एकांकी); सापनाभरा, शहीद(कहानी); श्रावनी मेणो, विसामो(उपन्यास); पारंकाजण्या(निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण(संपादन)। बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को नयी भंगिमा और नया स्वर देनेवाले उमाशंकर जोशी का साहित्यिक अवदान पूरे भारतीय साहित्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनको परंपरा का ज्ञान था।
कविता छोटा मेरा खेत चौकोना कागज़ का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहाँ बोया गया। कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। झूमने लगे फल , रस अलौकिक, अमृत धाराएँ फूटतीं रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की लुटते रहने से ज़रा भी कम नहीं होती। रस का अक्ष्यय पात्र सदा का छोटा मेरा खेत चौकोना।
पाठ प्रवेश ‘छोटा मेरा खेत ’कविता में कवि ने रूपक मे माध्यम से अपने कवि-कर्म को कृषक के समान बताया है। किसान अपने खेत में बीज बोता है। बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है, फिर पुष्पित-पल्लवित हिकर जब परिपक्वत को प्राप्त होता है; तब उसकी कटाई होती है। यह अन्न जनता का पेट भरता है।कवि कागज़ को अपना खेत मानता है। किसी क्षण आई भावनात्मक आँधी में वह इस कागज़ पर बीज-वपन करता है। कल्पना का आश्रय पाकर भाव विकसित होता है। यही बीज का अंकुरण है। शब्दों के अंकुर निकलते ही कृति ( रचना ) स्वरुप ग्रहण करने लगती है। इस अंकुरण से प्रस्फुटित हुई रचना में अलौकिक रस होता है जो अनंत काल तक पाठक को अपने में डुबाए रहता है। कवि ऐसी खेती करता है जिसकी कविता का रस कभी समाप्त नहीं होता।
कठिन शब्दों के अर्थ अंधड़ – आँधी का तेज़ झोंका नि:शेष – पूरी तरह नमित – झुका हुआ अलौकिक – दिव्य, अद्भुत अक्षय – कभी न नष्ट होने वाला पात्र - बर्तन
छोटा मेरा खेत चौकोना कागज़ का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहाँ बोया गया। मैं भी एक प्रकार का किसान हूँ। कागज़ का एक पन्ना मेरे लिए छोटे-से चौकोर खेत के समान है। अंतर इतना ही है कि किसान ज़मीन पर कुछ बोता है और मैं कागज़ पर कविता उगाता हूँ। जिस प्रकार किसान धरती पर फ़सल उगाने के लिए कोई बीज उगाता है, उसी प्रकार मेरे मन में अचानक आई आँधी के समान कोई भाव रूपी बीज न जाने कहाँ से चला आता है। वह भाव मेरे मन रूपी खेत में अचानक बोया जाता है।
कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। जिस प्रकार धरती में बोया गया बीज विभिन्न रसायनों – हवा, पानी, खाद आदि को पीकर स्वयं को गला देता है और उसमें से अंकुर, पत्ते और पुष्प फूट पड़ते हैं; उसी प्रकार कवि के मन में उठे हुए भाव कल्पना रूपी रसायन को पीकर उस भाव को अहंमुक्त कर लेते हैं, सर्वजन का विषय बना डालते हैं, सबकी अनुभूति बना डालते हैं। तब शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं। कविता भाव रूपी पत्तों और पुष्पों से लदकर विशेष रूप से झुक जाती है। वह सबके लिए समर्पित हो जाती है।
झूमने लगे फल , रस अलौकिक, अमृत धाराएँ फूटतीं रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की लुटते रहने से ज़रा भी कम नहीं होती। जब कवि के मन में पलने वाला भाव पककर कविता रूपी फल के रूप में झूमने लगता है तो उसमें से अद्भुत-अलौकिक रस झरने लगता है। आनंद की अमृत जैसी धाराएँ फूटने लगती हैं। सचमुच किसी भाव का आरोपण एक विशेष क्षण में अपने आप दिव्य प्रेरणा से हो जाया करता है, परंतु कविता के रूप में उसकी फ़सल अनंत काल तक मिलती रहती है। कविता की फ़सल ऐसी अनंत है कि उसे जितना लुटाओ, वह खाली नहीं होती। वह युगों-युगों तक रस देती रहती है।
रस का अक्ष्यय पात्र सदा का छोटा मेरा खेत चौकोना। कवि के पास कविता रूपी जो चौकोर खेत है, वह रस का अक्ष्यय पात्र है जिसमें से कभी रस समाप्त नहीं होता। कविता शाश्वत होती है।
जहाँउपमेयमेंउपमानकाआरोपहो, रुपककहलाताहै। इसकवितामेंनिम्नरुपकोंकाप्रयोगकियागयाहै – • उपमेयउपमान • कागज़काएकपन्नाचौकोनाखेत • भावनात्मकजोशअंधड़ • विषयबीज • कल्पनारसायन • शब्दअंकुर • अलंकार-सौंदर्यपल्लव-पुष्प • रसफल • आनंदपूर्णभावअमृतधाराएँ • रसकाअनुभवकरनाकटाई
पाठ्य-पुस्तक के बोधात्मक प्रश्न— • छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है ? • २) रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओंकी ओर इंगित किया है ? • ३) रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या हैं ?
गृह - कार्य • अपनी कल्पना के सहारे व्यक्तिगत भावनाओं पर आधारित कोई एक कविता लिखिए। • २. कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
धन्यवाद ! प्रस्तुति सीमांचल गौड़ स्नात्तकोत्तर शिक्षक ज.न.वि., ८२ माइल्स, धलाई, त्रिपुरा