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HinduNidhi.Com जािनए माता लमी की जािनए माता लमी की अद्भुत कहानी, रहय, अद्भुत कहानी, रहय, कथाएं और अनदेखे कथाएं और अनदेखे पहलू पहलू © HinduNidhi.Com
देवी लमी, धन, समृद्िध, वैभव और सौभाय की देवी ह। िहंदू धम म उनका िवशेष थान है और उनकी पूजा यापक प से की जाती है। देवी लमी की पूजा अनेक अवसर पर की जाती है, िवशेष प से दीपावली, धनतेरस और िवजयादशमी क े िदन। उनकी पूजा क े िलए ी लमी सूत, लमी चालीसा और HinduNidhi.Com लमी तो का पाठ िकया जाता है। देवी लमी को अयंत सुंदर पवती माना जाता है। वे सोने क े रंग की ह और चार भुजाएं धारण करती ह। उनक े हाथ म कमल का फूल, कलश, वणाभरण और वरमुदा होती ह। वे असर कमल क े फूल पर िवराजमान या हंस या हाथी पर सवार िचित की जाती ह। देवी लमी : जम, वप और महव देवी लमी का जम शरद पूिणमा क े िदन हुआ था। समुद मंथन से भी देवी लमी की उपि हुई थी, िजसे धन और समृद्िध की देवी माना जाता है। क ु छ मायताओं क े अनुसार, समुद मंथन से उपन लमी सोने का तीक ह, जबिक क ु छ उह देवी मानते ह। िवणुपुराण क े अनुसार, देवी लमी ऋिष भृगु और याित की पुी ह। क ु छ गंथ म इह समुद और पृवी की पुी भी बताया गया है। चार हाथ वाली देवी लमी को ी और लमी प म जाना जाता है। ीप म वे कमल पर िवराजमान रहती ह, जबिक लमीप म वे भगवान िवणु क े साथ रहती ह।
उनक े हाथ म अमृत कलश, वण कमल, सुनहरा िसका, और अभय मुदा होती है। उनका वाहन उलू और हाथी माना जाता है। देवी लमी को धन, समृद्िध, ऐवय, सौभाय, शांित, और िवणुिया देवी HinduNidhi.Com क े प म पूजा जाता है। दीपावली का यौहार देवी लमी को समिपत है। माता लमी की पूजा शुवार को िवशेष प से की जाती है। देवी लमी मं ॐ ीं ीं लमीयो नमः।। ॐ महालयै नमः।। ॐ ीं लमी नारायणाय नमः ॐ ीं महालयै नमः ॐ कमलवािसयै नमः अटलमी : धन, समृद्िध और सौभाय की देिवयां अटलमी देवी लमी क े आठ प को दशाती ह, जो िविभन कार क े धन, समृद्िध और सौभाय का तीक ह। इन आठ प म शािमल ह
आिदलमी : आिददेवी, सृिट की देवी, सभी कार क े धन और समृद्िध 1. की दाता। धनलमी : धन और संपदा की देवी, भौितक समृद्िध और वैभव दान HinduNidhi.Com 2. करती ह। धनलमी तो का पाठ अयंत शुभ और फलदायक माना गया है। धायलमी : अनपूणा, फसल और क ृिष की देवी, खा सुरा और 3. पोषण दान करती ह। गजलमी : िवजय और शित की देवी, हाथी पर सवार, िवजय और 4. सफलता दान करती ह। गजलमी वत कथा यहां जान। सतानलमी : पु और पौ दान करने वाली देवी, संतान सुख और 5. उरािधकार दान करती ह। वीरलमी : साहस और पराम की देवी, साहस, शित और 6. आमिववास दान करती ह। िवजयलमी : िवजय और जय की देवी, सभी यास म सफलता और 7. िवजय दान करती ह। िवालमी : ान और िशा की देवी, बुद्िध, िवा और ान दान 8. करती ह। देवी लमी क े िय भोग मखाना
िसंघाड़ा बताशे ईख हलुआ HinduNidhi.Com खीर अनार पान सफ े द और पीले रंग क े िमठान क े सर-भात माता लमी क े मुख मंिदर पद्मावती मंिदर, ितचुरा लमीनारायण मंिदर, वेलूर महालमी मंिदर, मुंबई लमीनारायण मंिदर, िदली लमी मंिदर, कोहापुर अटलमी मंिदर, चेनई अटलमी मंिदर, हैदराबाद लमी-क ु बेर मंिदर, वडलूर (चेनई) लमीनारायण मंिदर, जयपुर महालमी मंिदर, इंदौर
ीपुरम् का वण मंिदर, तिमलनाडु पचमठा मंिदर, जबलपुर लमी-िवणु िववाह कथा HinduNidhi.Com एक बार लमीजी क े िलए वयंवर का आयोजन हुआ। माता लमी पहले ही मन ही मन िवणुजी को पित प म वीकार कर चुकी थीं लेिकन नारद मुिन भी लमीजी से िववाह करना चाहते थे। नारदजी ने सोचा िक यह राजक ु मारी हिर प पाकर ही उनका वरण करेगी। तब नारदजी िवणु भगवान क े पास हिर क े समान सुदर प मांगने पहुंच गए। िवणु भगवान ने नारद की इछा क े अनुसार उह हिर प दे िदया। हिर प लेकर जब नारद राजक ु मारी क े वयंवर म पहुंचे तो उह िववास था िक राजक ु मारी उह ही वरमाला पहनाएगी, लेिकन ऐसा नहीं हुआ। राजक ु मारी ने नारदजी को छोड़कर भगवान िवणु क े गले म वरमाला डाल दी। नारदजी वहां से उदास होकर लौट रहे थे तो राते म एक जलाशय म उहने अपना चेहरा देखा। अपने चेहरे को देखकर नारद हैरान रह गए, यिक उनका चेहरा बंदर जैसा लग रहा था। हिर का एक अथ िवणु होता है और एक वानर होता है। भगवान िवणु ने नारद को वानर प दे िदया था। नारद समझ गए िक भगवान िवणु ने उनक े साथ छल िकया। उनको भगवान पर बड़ा ोध आया। नारद सीधे बैक ुं ठ पहुंचे और आवेश म आकर भगवान को ाप दे िदया िक आपको मनुय प म जम लेकर पृवी पर जाना होगा। िजस तरह मुझे ी का िवयोग सहना पड़ा है उसी कार आपको भी िवयोग सहना होगा। इसिलए राम और सीता क े प म जम लेकर िवणु और
देवी लमी को िवयोग सहना पड़ा। समुद मंथन समुद मंथन िहंदू धम की एक िस कथा है। इस कथा क े अनुसार, देवताओं और HinduNidhi.Com असुर क े बीच अमृत ाित क े िलए यु हुआ था। इस यु म देवताओं की पराजय हुई थी। तब भगवान िवणु ने देवताओं को सलाह दी िक वे समुद मंथन कर। समुद मंथन क े िलए देवताओं और असुर ने िमलकर िवशालकाय शेषनाग को रसी बनाया और मंदराचल पवत को मंथन दंड बनाया। इस मंथन से अनेक रन िनकले, िजनम हलाहल िवष, कामधेनु गाय, उचै :वा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौतुभ मिण, कपदुम गंथ, रभा नामक असरा, महालमी आिद शािमल थे। देवी लमी का ादुभाव समुद मंथन से ही हुआ था। वे समृद्िध और वैभव की देवी ह। उनका आगमन देवताओं क े िलए शुभ संक े त था। भगवान िवणु ने महालमी को अपनी पनी क े प म वीकार िकया। Read This Online जािनए माता लमी की अद्भुत कहानी, रहय, कथाएं और अनदेखे पहलू
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