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Pradosh Vrat Katha Pooja Vidhi PDF Download
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HinduNidhi.Com दोष वत कथा एवं पूजा दोष वत कथा एवं पूजा िविध िविध © HinduNidhi.Com
दोष का अथ है राि का शुभ आरभ इस वत क े पूजन का िवधान इसी समय होता है| इसिलए इसे दोष वत कहते ह| यह वत शुल प और क ृ ण प की योदशी को िकया जाता ह| इसका उदेशय संतान की कामना है| इस वत को ी पुष दोन ही कर सकते ह| इस वत क े उपाय देव भगवान शंकर ह| HinduNidhi.Com || पूजा िविध || सांयकाल को वत करने वाले को िशव शंकर की पूजा करक े अप आहार करना चािहए| क ृ ण प का शिन दोष िवशेष पुदायी होता है| शंकर जी का िदन सोमवार है| इस िदन पड़ने वाला दोष सोम दोष कहलाता है| दोष वत क े िलए ावण क े हर सोमवार का िवशेष महव है| || दोष वत कथा || ाचीनकाल म एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृयु क े बाद उसकी िवधवा पनी अपने भरण-पोषण क े िलए पु को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी। एक िदन उसकी मुलाकात िवदभ देश क े राजक ु मार से हुई, जो िक अपने िपता की मृयु क े बाद दर-दर भटकने लगा था। उसकी यह हालत पुजारी की पनी से देखी नहीं गई, वह उस राजक ु मार को अपने साथ अपने घर ले आई और पु जैसा रखने लगी। एक िदन पुजारी की पनी अपने साथ दोन पु को शांिडय ऋिष क े आम ले गई। वहां उसने ऋिष से िशवजी
क े दोष वत की कथा एवं िविध सुनी तथा घर जाकर अब वह भी दोष वत करने लगी। एक बार दोन बालक वन म घूम रहे थे। उनम से पुजारी का बेटा तो घर लौट गया, HinduNidhi.Com परंतु राजक ु मार वन म ही रह गया। उस राजक ु मार ने गंधव कयाओं को ीड़ा करते हुए देखा तो उनसे बात करने लगा। उस कया का नाम अंशुमती था। उस िदन वह राजक ु मार घर देरी से लौटा। राजक ु मार दूसरे िदन िफर से उसी जगह पहुंचा, जहां अंशुमती अपने माता-िपता से बात कर रही थी। तभी अंशुमती क े माता-िपता ने उस राजक ु मार को पहचान िलया तथा उससे कहा िक आप तो िवदभ नगर क े राजक ु मार हो ना, आपका नाम धमगुत है। अंशुमती क े माता-िपता को वह राजक ु मार पसंद आया और उहने कहा िक िशवजी की क ृ पा से हम अपनी पुी का िववाह आपसे करना चाहते है, या आप इस िववाह क े िलए तैयार ह राजक ु मार ने अपनी वीक ृित दे दी तो उन दोन का िववाह संपन हुआ। बाद म राजक ु मार ने गंधव की िवशाल सेना क े साथ िवदभ पर हमला िकया और घमासान यु कर िवजय ात की तथा पनी क े साथ राय करने लगा। वहां उस महल म वह पुजारी की पनी और पु को आदर क े साथ ले आया तथा साथ रखने लगा। पुजारी की पनी तथा पु क े सभी दुःख व दिरदता दूर हो गई और वे सुख से अपना जीवन यतीत करने लगे। एक िदन अंशुमती ने राजक ु मार से इन सभी बात क े पीछे का कारण और रहय पूछा, तब राजक ु मार ने अंशुमती को अपने जीवन की पूरी बात बताई और साथ ही दोष वत का महव और वत से ात फल से भी अवगत कराया।
उसी िदन से दोष वत की ितठा व महव बढ़ गया तथा मायतानुसार लोग यह वत करने लगे। कई जगह पर अपनी ा क े अनुसार ी-पुष दोन ही यह वत करते ह। इस वत को करने से मनुय क े सभी कट और पाप नट होते ह एवं मनुय को अभीट की ाित होती है। HinduNidhi.Com Read This Online दोष वत कथा एवं पूजा िविध Visit HinduNidhi https://hindunidhi.com Noitce & Disclaimer: This document may contain some errors / mistakes in form of language, grammar, characters, or any other. HinduNidhi.Com does not claim the 100% accuracy of the contents in this PDF, however, always great efforts are made to ensure that the contents in the PDF are correct and accurate. If you feel there is any issue, you can report this by clicking here.