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Presentation Transcript


  1. HinduNidhi.Com दोष वत कथा एवं पूजा दोष वत कथा एवं पूजा िविध िविध © HinduNidhi.Com

  2. दोष का अथ है राि का शुभ आरभ इस वत क े पूजन का िवधान इसी समय होता है| इसिलए इसे दोष वत कहते ह| यह वत शुल प और क ृ ण प की योदशी को िकया जाता ह| इसका उदेशय संतान की कामना है| इस वत को ी पुष दोन ही कर सकते ह| इस वत क े उपाय देव भगवान शंकर ह| HinduNidhi.Com || पूजा िविध || सांयकाल को वत करने वाले को िशव शंकर की पूजा करक े अप आहार करना चािहए| क ृ ण प का शिन दोष िवशेष पुदायी होता है| शंकर जी का िदन सोमवार है| इस िदन पड़ने वाला दोष सोम दोष कहलाता है| दोष वत क े िलए ावण क े हर सोमवार का िवशेष महव है| || दोष वत कथा || ाचीनकाल म एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृयु क े बाद उसकी िवधवा पनी अपने भरण-पोषण क े िलए पु को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी। एक िदन उसकी मुलाकात िवदभ देश क े राजक ु मार से हुई, जो िक अपने िपता की मृयु क े बाद दर-दर भटकने लगा था। उसकी यह हालत पुजारी की पनी से देखी नहीं गई, वह उस राजक ु मार को अपने साथ अपने घर ले आई और पु जैसा रखने लगी। एक िदन पुजारी की पनी अपने साथ दोन पु को शांिडय ऋिष क े आम ले गई। वहां उसने ऋिष से िशवजी

  3. क े दोष वत की कथा एवं िविध सुनी तथा घर जाकर अब वह भी दोष वत करने लगी। एक बार दोन बालक वन म घूम रहे थे। उनम से पुजारी का बेटा तो घर लौट गया, HinduNidhi.Com परंतु राजक ु मार वन म ही रह गया। उस राजक ु मार ने गंधव कयाओं को ीड़ा करते हुए देखा तो उनसे बात करने लगा। उस कया का नाम अंशुमती था। उस िदन वह राजक ु मार घर देरी से लौटा। राजक ु मार दूसरे िदन िफर से उसी जगह पहुंचा, जहां अंशुमती अपने माता-िपता से बात कर रही थी। तभी अंशुमती क े माता-िपता ने उस राजक ु मार को पहचान िलया तथा उससे कहा िक आप तो िवदभ नगर क े राजक ु मार हो ना, आपका नाम धमगुत है। अंशुमती क े माता-िपता को वह राजक ु मार पसंद आया और उहने कहा िक िशवजी की क ृ पा से हम अपनी पुी का िववाह आपसे करना चाहते है, या आप इस िववाह क े िलए तैयार ह राजक ु मार ने अपनी वीक ृित दे दी तो उन दोन का िववाह संपन हुआ। बाद म राजक ु मार ने गंधव की िवशाल सेना क े साथ िवदभ पर हमला िकया और घमासान यु कर िवजय ात की तथा पनी क े साथ राय करने लगा। वहां उस महल म वह पुजारी की पनी और पु को आदर क े साथ ले आया तथा साथ रखने लगा। पुजारी की पनी तथा पु क े सभी दुःख व दिरदता दूर हो गई और वे सुख से अपना जीवन यतीत करने लगे। एक िदन अंशुमती ने राजक ु मार से इन सभी बात क े पीछे का कारण और रहय पूछा, तब राजक ु मार ने अंशुमती को अपने जीवन की पूरी बात बताई और साथ ही दोष वत का महव और वत से ात फल से भी अवगत कराया।

  4. उसी िदन से दोष वत की ितठा व महव बढ़ गया तथा मायतानुसार लोग यह वत करने लगे। कई जगह पर अपनी ा क े अनुसार ी-पुष दोन ही यह वत करते ह। इस वत को करने से मनुय क े सभी कट और पाप नट होते ह एवं मनुय को अभीट की ाित होती है। HinduNidhi.Com Read This Online दोष वत कथा एवं पूजा िविध Visit HinduNidhi https://hindunidhi.com Noitce & Disclaimer: This document may contain some errors / mistakes in form of language, grammar, characters, or any other. HinduNidhi.Com does not claim the 100% accuracy of the contents in this PDF, however, always great efforts are made to ensure that the contents in the PDF are correct and accurate. If you feel there is any issue, you can report this by clicking here.

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