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Rohini Vrat Katha Pooja Vidhi PDF Download
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HinduNidhi.Com ी रोिहणी वत कथा एवं ी रोिहणी वत कथा एवं पूजा िविध पूजा िविध © HinduNidhi.Com
|| रोिहणी वत की पूजा िविध || रोिहणी वत रखने वाले यित को सुबह सूयोदय से पहले उठकर नान करना चािहए. HinduNidhi.Com नए व धारण करने क े बाद वत का संकप ल. सूय देव को अय देते हुए ॐ सूयाय नम : मं का जाप कर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा िबछाकर उस पर मां लमी की ितमा या मूित थािपत कर. मां लमी को नए व और ृंगार अिपत कर. इसक े बाद देवी लमी को फल, फूल, धूप-दीप आिद चढ़ाएं. लमी चालीसा का पाठ कर. मां लमी को भोग लगाएं और आरती कर. इस वत का पारण रोिहणी न क े समात होने पर मागशीष न म िकया जाता है. शाम क े समय वत का पारण कर और चंद को अय द. || रोिहणी वत कथा || ाचीन कथा क े अनुसार चंपापुरी राय म राजा माधवा, और रानी लमीपित का राय था। उनक े सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार राजा ने बेटी रोिहणी क े बारे म योितषी से जानकारी ली तो उसने बताया िक रोिहणी का िववाह हितनापुर क े राजक ु मार अशोक क े साथ होगा। इस पर इसक े बाद राजा ने वयंवर का आयोजन िकया, इसम रोिहणी-अशोक का िववाह करा िदया गया। बाद म रोिहणी-अशोक राजा रानी बने।
एक समय हितनापुर क े वन म ी चारण मुिनराज आए, उनक े दशन क े िलए राजा पहुंचे और धमोपदेश गहण िकया। बाद म पूछा िक उनकी रानी शांतिच य है, तब उहने बताया िक इसी नगर म एक समय म वतुपाल नाम का राजा था, िजसका धनिम नाम का िम था, िजसकी दुगंधा नाम की कया पैदा हुई। लेिकन HinduNidhi.Com धनिम परेशान रहता था िक उसकी बेटी से िववाह कौन करेगा। लेिकन बाद म उसने धन का लालच देकर वतुपाल क े बेटे ीषेण से दुगंधा का िववाह कर िदया। इधर दुगंधा की दुगंध से परेशान होकर ीषेण एक माह म ही कहीं चला गया। इसी समय अमृतसेन मुिनराज वहां आए। धनिम और दुगंधा उनक े दशन क े िलए पुहंचे। यहां धनिम ने दुगंधा क े भिवय क े िवषय म पूछा तो उहने बताया िक िगरनार पवत क े पास एक नगर म भूपाल नाम क े राजा का राय था। राजा की िसंधुमती नाम की रानी थी। एक िदन राजा रानी वन जा रहे थे, तभी मुिनराज को देखा तो रानी को घर लौटकर आहार की यवथा करने को कहा। रानी घर तो लौट आई लेिकन गुसे म मुिनराज क े िलए कड़वी तुबी का आहार तैयार कराया, इससे मुिनराज को बहुत कट और उनकी मृयु हो गई। राजा को इसका पता चला तो उहने रानी को महल से िनकाल िदया। पाप क े कारण रानी को कोढ़ भी हो गया और आिखर म उसकी मृयु हो गई और नक म गई। यहां दुख भोगने क े बाद पहले वह पशु योिन म उपन हुई और बाद म तुहारे घर दुगंधा नाम की कया क े प म पैदा हुई। इस पर धनिम ने ऐसे वत क े बारे म पूछा िजससे उसका पाप कटे, िजसपर मुिन अमृतसेन ने उह रोिहणी वत का महव और िविध बताई। दुगंधा ने ऐसा ही िकया और संयास व मृयु क े बाद वग गई, वहां से तुहारी रानी बनी।
इसक े बाद राजा अशोक ने अपनी कहानी क े बारे म पूछा तो मुिनराज ने बताया िक भील क े जम म तुमने भी मुिनराज को कट िदए थे। इससे मृयु क े बाद नक होते हुए और कई योिनय म भमण करते हुए यापारी क े घर पैदा हुए। इसक े बाद मुिनराज क े बताने पर रोिहणी वत िकया और अगले जम म राजा बने। इस तरह HinduNidhi.Com राजा, रानी रोिहणी वत क े भाव से मो को ात िकए। Read This Online ी रोिहणी वत कथा एवं पूजा िविध Visit HinduNidhi https://hindunidhi.com Noitce & Disclaimer: This document may contain some errors / mistakes in form of language, grammar, characters, or any other. HinduNidhi.Com does not claim the 100% accuracy of the contents in this PDF, however, always great efforts are made to ensure that the contents in the PDF are correct and accurate. If you feel there is any issue, you can report this by clicking here.