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Somvar Vrat Katha and Pooja Vidhi PDF Download
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HinduNidhi.Com सोमवार वत कथा पूजा सोमवार वत कथा पूजा िविध िविध © HinduNidhi.Com
।। सोमवार वत कथा ।। िकसी नगर म एक साहूकार रहता था। उसक े घर म धन की कोई कमी नहीं थी लेिकन उसकी कोई संतान नहीं थी िजस वजह से वह बेहद दुखी था। पु ाित क े HinduNidhi.Com िलए वह भगवान िशव येक सोमवार वत रखता था और पूरी ा क े साथ िशवालय म जाकर भगवान िशव और पावती जी की पूजा करता था। उसकी भित देखकर मां पावती सन हो गई और भगवान िशव से उस साहूकार की मनोकामना पूण करने का िनवेदन िकया। पावती जी की इछा सुनकर भगवान िशव ने कहा िक “हे पावती। इस संसार म हर ाणी को उसक े कमों क े अनुसार फल िमलता है और िजसक े भाय म जो हो उसे भोगना ही पड़ता है।” लेिकन पावती जी ने साहूकार की भित का मान रखने क े िलए उसकी मनोकामना पूण करने की इछा जताई। माता पावती क े आगह पर िशवजी ने साहूकार को पु-ाित का वरदान तो िदया लेिकन साथ ही यह भी कहा िक उसक े बालक की आयु क े वल बारह वष होगी। माता पावती और भगवान िशव की इस बातचीत को साहूकार सुन रहा था। उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही गम। वह पहले की भांित िशवजी की पूजा करता रहा। क ु छ समय उपरांत साहूकार क े घर एक पु का जम हुआ। जब वह बालक यारह वष का हुआ तो उसे पढ़ने क े िलए काशी भेज िदया गया। साहूकार ने पु क े मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन िदया और कहा िक तुम इस बालक को काशी िवा ाित क े िलए ले जाओ और माग म य कराओ। जहां भी य कराओ वहीं पर बाण को भोजन कराते और दिणा देते हुए जाना। दोन मामा-
भांजे इसी तरह य कराते और बाण को दान-दिणा देते काशी की ओर चल पड़े। राते म एक नगर पड़ा जहां नगर क े राजा की कया का िववाह था। लेिकन िजस HinduNidhi.Com राजक ु मार से उसका िववाह होने वाला था वह एक आंख से काना था। राजक ु मार क े िपता ने अपने पु क े काना होने की बात को छुपाने क े िलए एक चाल सोची। साहूकार क े पु को देखकर उसक े मन म एक िवचार आया। उसने सोचा य न इस लड़क े को दूहा बनाकर राजक ु मारी से िववाह करा दूं। िववाह क े बाद इसको धन देकर िवदा कर दूंगा और राजक ु मारी को अपने नगर ले जाऊ ं गा। लड़क े को दूहे का व पहनाकर राजक ु मारी से िववाह कर िदया गया। लेिकन साहूकार का पु एक ईमानदार शस था। उसे यह बात यायसंगत नहीं लगी। उसने अवसर पाकर राजक ु मारी की चुनी क े पले पर िलखा िक “तुहारा िववाह मेरे साथ हुआ है लेिकन िजस राजक ु मार क े संग तुह भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है। म तो काशी पढ़ने जा रहा हूं।” जब राजक ु मारी ने चुनी पर िलखी बात पढ़ी तो उसने अपने माता-िपता को यह बात बताई। राजा ने अपनी पुी को िवदा नहीं िकया िजससे बारात वापस चली गई। दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उहने य िकया। िजस िदन लड़क े की आयु 12 साल की हुई उसी िदन य रखा गया। लड़क े ने अपने मामा से कहा िक मेरी तबीयत क ु छ ठीक नहीं है। मामा ने कहा िक तुम अदर जाकर सो जाओ। िशवजी क े वरदानुसार क ु छ ही ण म उस बालक क े ाण िनकल गए। मृत भांजे को देख उसक े मामा ने िवलाप शु िकया।
संयोगवश उसी समय िशवजी और माता पावती उधर से जा रहे थे। पावती ने भगवान से कहा- ाणनाथ, मुझे इसक े रोने क े वर सहन नहीं हो रहा। आप इस यित क े कट को अवय दूर कर| जब िशवजी मृत बालक क े समीप गए तो वह बोले िक यह उसी साहूकार का पु है, िजसे मने 12 वष की आयु का वरदान िदया। HinduNidhi.Com अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है। लेिकन मातृ भाव से िवभोर माता पावती ने कहा िक हे महादेव आप इस बालक को और आयु देने की क ृ पा कर अयथा इसक े िवयोग म इसक े माता-िपता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे। माता पावती क े आगह पर भगवान िशव ने उस लड़क े को जीिवत होने का वरदान िदया| िशवजी की क ृ पा से वह लड़का जीिवत हो गया। िशा समात करक े लड़का मामा क े साथ अपने नगर की ओर चल िदए। दोन चलते हुए उसी नगर म पहुंचे, जहां उसका िववाह हुआ था। उस नगर म भी उहने य का आयोजन िकया। उस लड़क े क े ससुर ने उसे पहचान िलया और महल म ले जाकर उसकी आवभगत की और अपनी पुी को िवदा िकया। इधर भूखे-यासे रहकर साहूकार और उसकी पनी बेटे की तीा कर रहे थे। उहने ण कर रखा था िक यिद उह अपने बेटे की मृयु का समाचार िमला तो वह भी ाण याग दगे परंतु अपने बेटे क े जीिवत होने का समाचार पाकर वह बेहद सन हुए। उसी रात भगवान िशव ने यापारी क े वन म आकर कहा- हे ेठी, मने तेरे सोमवार क े वत करने और वतकथा सुनने से सन होकर तेरे पु को लबी आयु दान की है। जो कोई सोमवार वत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसक े सभी दुख दूर होते ह और समत मनोकामनाएं पूण होती ह।
।। सोमवार वत पूजा िविध ।। गाय क े शु कचे दूध को िशविलंग पर अिपत करना चािहए। यह करने से मनुय क े तन-मन-धन से जुड़ी सारी परेशािनयां खम हो जाती है। HinduNidhi.Com इसक े बाद िशविलंग पर शहद या गने का रस चढ़ाए। िफर कपूर, इ, पुप- धतूरे और भम से िशवजी का अिभषेक कर िशव आरती करना कर। अपनी मनोकामना पूित क े िलए दय से ाथना करना चािहए। इस वत म सफ े द रंग का खास महव होता है। वत वाले को िदन म सफ े द कपड़े पहनकर िशविलंग पर सफ े द पुप चढ़ाने से यित की सभी मनोकामनाएं पूण होती है। सोमवार क े िदन िशवपूजा का िवधान है। भोलेनाथ एक लोटे जल से भी सन हो जाते ह। सोमवार क े िदन भगवान िशव की पूजा करने से यित की हर मनोकामना की पूित होती है। यिद भोलेनाथ की पूजा िशवमं क े साथ की जाए तो भायोदय क े साथ रोजगार, उनित व मनचाहे जीवन-साथी पाने की मनोकामना शीघ पूण होती है। िशविलंग पर जलािभषेक क े बाद गाय का दूध अिपत कर। इससे तन, मन और धन संबंधी हर समया दूर होती है। िशविलंग पर शहद की धारा अिपत कर। इससे आजीिवका, नौकरी व यवसाय से संबंिधत सभी परेशािनय से छुटकारा िमलता है। लाल चंदन लगाएं व ृंगार कर। माना जाता है िक िशविलंग पर चंदन लगाने से जीवन म सुख-शांित आती है। इन उपाय क े बाद यथाशित गंध, अत, फूल, नैवे अिपत कर िशव आरती कर। साथ ही िशव जी को अिपत िकए गए दूध, शहद को चरणामृत क े
प म गहण कर और चंदन लगाकर मनोकामना पूित हेतु भोलेनाथ से ाथना कर। ।। सोमवार वत उापन िविध ।। HinduNidhi.Com सुबह उठकर िनय कम से िनवृत हो नान कर। नान क े बाद हो सक े तो सफ े द व धारण कर। पूजा थल को गंगा जल से जर शु कर। पूजा थल पर क े ले क े चार खबे क े ारा चौकोर मडप बना ल। चार ओर से फूल और बंदनवार (आम क े प का) से सजाय। पूव की ओर मुख करक े आसन पर बैठ जाय और साथ म पूजा सामगी भी रख ल। आटे या हदी की रंगोली डाल और उसक े ऊपर चौकी या लकड़ी क े पटरे को मंडप क े बीच म रख। इसक े बाद चौकी पर साफ और कोरा सफ े द व िबछाय। उस पर िशव-पावती जी की ितमा या िफर फोटो को थािपत कर। चौकी पर िकसी पा म रखकर चंदमा को भी थािपत कर। सबसे पहले अपने आप को शु करने क े िलये पिवीकरण जर कर। Read This Online सोमवार वत कथा पूजा िविध
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