0 likes | 15 Views
angoor, ek svaadisht aur praakrtik phal, svaasthy ke lihaaj se shaanadaar hai. yah shareer ko poshan pradaan karata hai aur vibhinn prakaar ke poshak tatv pradaan karata hai.<br>
E N D
1 Angoor: Svaasthy Ke Laabh Aur Poshan Se Bharpur Fal
स्वास्थ्य क े लाभ और पोषण से भरपूर फल अंगूर एक ऐसा फल है जो रोगगयों क े गलए एक अच्छा पथ्य होने क े साथ- साथ स्वस्थ मनुष्य को शक्ति और पौगिकता प्रदान करता है। अत्यगिक स्वागदि और पौगिक होने क े साथ-साथ यह बहुत सरलतापूर्वक पच जाता है। गजन भयंकर रोगों में प्रायः अन्य सभी प्रकार क े खाद्य पदाथव देने बंद कर गदये जाते हैं, उस समय अंगूर अथर्ा मुनक्का देना बहुत लाभदायक गसद्ध होता है। इसगलए अंगूर को प्रक ृ गत का मनुष्य को गदया गया एक अमूल्य फल कहा गया है। अंगूर क े अनेक आकार-प्रकार होते हैं, रृप और स्वाद भी गर्गभन्न प्रकार क े होते हैं तथा बढ़िया खुशबू होती है। अंगूर हरे, काले, लाल और नीले रंग में गमलता है। 2 ऐसा गर्श्वास गकया जाता है गक अंगूर से बनाया जाने र्ाला मादक पेय अत्यंत प्राचीन काल से चला आ रहा है। संसार की गर्गभन्न प्राचीन इमारतों
में लगे पत्थरों में खुदाई से बने अंगूर क े गचत्र आज भी देखने को गमलते हैं। लगभग 8 हजार र्र्व पूर्व गमस्र में जो स्मारक बनाये गये थे, उनमें भी अंगूरों क े गचत्र देखने को गमलते हैं। ऐसा गर्श्वास गकया जाता है गक अंगूर का मूल उत्पगि-स्थल काक े गशया तथा उसक े आसपास का क्षेत्र है। उसक े बाद यह यूरोप में फ ै लते हुए भारत तक पहुंचा। अंगूर 1947 में भारत क े गर्भाजन से पूर्व पागकस्तान क े क्व े टा क्षेत्र से आता था। उसे चमन का अंगूर कहते थे। आज भारत क े अनेक स्थानों पर अंगूर अत्यगिक मात्रा में पैदा होने लगा है। अंगूर तगमलनाडु, नागसक, पुणे, महारािर, आंध्रप्रदेश और हररयाणा क े अनेक भागों में भारी मात्रा में पैदा होता है। अंगूर का पौिा बेल क े रृप में बढ़ता है और उसको डंडों क े सहारे जाल बनाकर फ ै लाया जाता है। अंगूर में शक व रा की मात्रा बहुत अगिक होती है। इसे सम्पूणव रृप से ग्लूकोज कहा जाता है। यह बडी सरलतापूर्वक शरीर में जज्च हो जाती है। इससे शरीर को ऊजाव प्राप्त होती है। 4
गर्शुद्ध ग्लूकोज होने क े कारण रोगों की गनबवलता दूर करने में अंगूर बहुत लाभदायक गसद्ध होता है। शरीर क े गभन्न अंगों और हृदय क े सामान्य रृप से काम करते रहने क े गलए ऊजाव की अत्यंत आर्श्यकता होती है। शरीर में इसका रस सरलता-पूर्वक जज्ब हो जाने क े कारण रोगों क े जल्दी दूर होने में सहायता गमलती है। इससे रि की कमी दूर होती है। कब्ज में कब्ज मनुष्य क े गलए बहुत हागनकारक रोग है। अंगूर क े गनरंतर प्रयोग करते रहने से कब्ज प्राक ृ गतक रृप से दूर हो जाती है। छोटे बच्ों को 1-2 चम्मच अंगूर का रस देने से छोटे बच्ो का पेट साफ रहता है। हृदय रोगोोंमें हृदय-रोगगयों क े गलए अंगूर बहुत लाभदायक फल है। हृदय रोगी गजस समय ददव अनुभर् करता है और िडकन बढ़ जाती है, उस समय अंगूर क्तखलाने अथर्ा रस गपलाने से बहुत लाभ होता है। इससे रोग पर जल्दी काबू पाया जा सकता है। 5
गुदे क े रोगोोंमें 6 गुदे क े रोगों में उन र्स्तुओं से लाभ होता है गजनसे मूत्र खुलकर आता है। अंगूर में पोटैगशयम और नमी की मात्रा अगिक होने क े कारण अंगूर खाने से पेशाब खुलकर जाता है। इसका गनरंतर भोजन क े रृप में प्रयोग करने से गुदे और आमाशय की पथरी में आराम गमलता है। अंगूर क े पिों को अच्छी तरह पीस और छानकर थोडा पानी गमलाने से गुदे क े ददव में आराम गमलता है। प्रगतगदन 50 ग्राम क े लगभग अंगूर खाते रहने से व्यक्ति जुकाम से बचा रहता है। ढपत्त ज्वर में गदल ज्वर में तो शराब और मुलेहटी का काढ़ा देने से लाभ होता है। ज्वर क े कारण जब रोगी अत्यगिक कमजोर हो जाए तो उसे अंगूर का रस थोडी- थोडी देर काय गपलाते रहने से उसकी शारीररक शक्ति पुनः लौट आती है।
घंटे तक पानी में गभगोकर, चबाकर खाने और उसक े बाद उगचत मात्रा में दूि पीने से ज्वर की दुबवलता खत्म हो जाती है। अंगूर न गमलने की क्तस्थगत में 20 ग्राम दाल दो ढसर-ददद में गकसी भी प्रकार क े गसर-ददव में अंगूर का रस पीने से लाभ होता है। नशा दूर करने क े ढलए प्रायः यह सभी जानते हैं गक संसार में बगढ़या से बगढ़या शराब अंगूर से बनती है। इसका अथव यही है गक अंगूर में गर्शुद्ध मात्रा में अल्कोहल होती है। शराब पीने र्ाले व्यक्ति को गजस समय शराब पीने की इच्छा हो, उस समय उसे अंगूर खाने क े गलए देते रहने से नशा करने की आदत छ ू ट जाती है। बीजर्ाले अंगूर से ही दाख बनती है, गजसकी गगनती सूखे फलों में होती है। आयुर्ेद की एक प्रमुख और्गि ‘द्राक्षाररि’ है जो पेट से संबंगित अनेक 7
रोगों को दूर करने क े अगतररि शरीर को बल प्रदान करती है, भूख बढ़ाती है। अंगूर क े पिे और अंगूर की बेल की लकडी भी अनेक रोगों में काम आती है। दाोंतोोंक े रोगोोंमें अंगूर से दांतों की बीमाररयों में भी लाभ होता है। यगद क ु छ सप्ताह तक अंगूर को भोजन क े रृप में प्रयोग गकया जाए तो दांतों की जडे मजबूत होती हैं और दांतों से पस आना बंद हो जाता है। पथ्य क े रूप में क ु छ रोगों में पूणवतः खुराक क े रृप में अंगूर का प्रयोग करते रहने से अनेक रोगों को ठीक करने में सहायता गमलती है। इन गदनों क े र्ल अंगूर अथर्ा उसक े रस आगद का प्रयोग गकया जाता है। इसका पाचक और मलशोिक प्रभार् अनेक रोगों क े गलए अत्यगिक लाभदायक गसद्ध हुआ। अंगूर से पेट की आंतों को चल गमलता है और पुराना कब्ज भी सरलतापूर्वक समाप्त हो जाता है। भोजन क े रृप में क े र्ल अंगूर अथर्ा उसक े रस का प्रयोग 5 से 6 सप्ताह तक अंगूर क े मौसम में करना ठीक रहता है। पेट ठीक रहने और कब्ज दूर होने से अपच और अरूगच स्वतः समाप्त हो जाती है। Read more… 9